पोर्ट ऑफ स्पेन, 4 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि गिरमिटिया समुदाय के वंशज अब संघर्ष नहीं, बल्कि सफलता, सेवा और मूल्यों से परिभाषित होते हैं। उन्होंने कहा कि गिरमिटिया पूर्वजों ने कठिन परिस्थितियों में भी आत्मा नहीं खोई, बल्कि अपनी संस्कृति, आस्था और सभ्यता को जीवित रखा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आपके पूर्वजों ने अपनी मिट्टी छोड़ी, लेकिन आत्मा नहीं। वे केवल प्रवासी नहीं, बल्कि कालातीत सभ्यता के दूत थे।” उन्होंने त्रिनिदाद में बसे भारतीयों के सांस्कृतिक और आर्थिक योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि यहां की सड़कों से लेकर त्योहारों तक में भारत की छाप है।
उन्होंने त्रिनिदाद की पहली महिला प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर, वर्तमान राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और दिवंगत नेता बासदेव पांडे जैसे सफल भारतीय मूल के नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह समुदाय आज विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गिरमिटिया वंशजों को भारत से जोड़ने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसमें प्रवासी पूर्वजों का डेटाबेस तैयार करना, उनके मूल गांवों की पहचान करना और ‘विश्व गिरमिटिया सम्मेलन’ जैसे आयोजनों की शुरुआत शामिल है।
उन्होंने घोषणा की कि अब त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय मूल की छठी पीढ़ी को भी OCI कार्ड दिए जाएंगे। “आप खून या उपनाम से ही नहीं, बल्कि अपनत्व से भारत से जुड़े हैं,” उन्होंने कहा।
प्रधानमंत्री ने त्रिनिदाद में रामभक्ति और भारतीय त्योहारों की धारा को सराहा और बताया कि उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर की प्रतिकृति और सरयू नदी का पवित्र जल यहां लाकर सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ किया है।
भारत की प्रगति पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “भारत अब दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में जल्द शामिल होगा। हमने पिछले दशक में 25 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला।” उन्होंने बताया कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन चुका है और डिजिटल भुगतान में UPI के जरिए क्रांति आ चुकी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद को UPI अपनाने पर बधाई देते हुए कहा, “अब पैसे भेजना गुड मॉर्निंग मैसेज भेजने जितना आसान होगा।” उन्होंने भारत की रक्षा और तकनीकी क्षमताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब रेलवे इंजन से लेकर रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है।
अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय समुदाय से भारत आने और अपनी जड़ों से जुड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “आइए अपनी माटी में, भारत आपका जलेबी के साथ स्वागत करेगा।” नमस्कार, सीताराम और जय श्रीराम के उद्घोष के साथ उन्होंने अपना संबोधन समाप्त किया।