शिमला, 19 मार्च। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के चीफ इंजीनियर व जीएम विमल नेगी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटनाक्रम के बीच सरकार ने प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के निदेशक (इलेक्ट्रिकल) देशराज को निलंबित कर दिया है। सरकार ने उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी किए हैं।
राज्य सरकार ने मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) हरीकेश मीना और निदेशक (इलेक्ट्रिकल) देशराज को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। उनकी जगह 2012 बैच के आईएएस अधिकारी राकेश प्रजापति को एमडी का कार्यभार सौंपा गया है। इसके अलावा निदेशक (सिविल) सुरिंदर कुमार को निदेशक (इलेक्ट्रिकल) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
परिजनों की सीबीआई जांच की मांग, शव सहित दफ्तर के बाहर रात तक धरना
विमल नेगी की मौत को लेकर उनके परिजनों और सहयोगियों में गहरा आक्रोश है। परिजन सहित अन्य लोग हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के दफ्तर के बाहर बुधवार देर रात तक शव लेकर धरने पर बैठे रहे। उन्होंने पावर कॉर्पोरेशन के कुछ उच्च अधिकारियों पर कार्रवाई करने और इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की। उनका आरोप है कि सरकार ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और समय पर जरूरी कदम नहीं उठाए जिससे यह दुखद घटना घटी। परिजनों का कहना है कि पावर कॉरपोरेशन के कुछ अधिकारियों ने उन पर अनैतिक दबाव बनाया था, जिसके कारण वह मानसिक तनाव में थे। रात करीब 11 बजे प्रदेश सरकार के चार मंत्रियों जगत सिंह नेगी, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह और राजेश धर्माणी ने मौके पर पहुंचकर धरना दे रहे मृतक के परिजनों व लोगों को कार्रवाई का पूरा आश्वासन दिया। इसके बाद वे धरने से उठे।
सरकार ने दिए उच्चस्तरीय जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। जांच के दौरान मृतक अधिकारी के परिजनों, कर्मचारियों और अन्य संबंधित पक्षों के बयान दर्ज किए जाएंगे। इसके अलावा न्यू शिमला पुलिस थाने में विमल नेगी की पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने की एफआईआर दर्ज की है।
इस तरह सामने आया पूरा मामला
गौरतलब है कि 10 मार्च को विमल नेगी शिमला से अचानक लापता हो गए थे। उनकी आखिरी लोकेशन बिलासपुर जिले में मिली थी। इसके बाद प्रशासन और पुलिस ने व्यापक सर्च ऑपरेशन चलाया। अंततः 18 मार्च को गोविंद सागर झील से उनका शव बरामद हुआ। हालांकि उनकी मौत की असली वजह को लेकर अब भी सवाल बने हुए हैं।