नई दिल्ली, 28 जुलाई। विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चीन-पाक गठजोड़ पर अगाह किए जाने के मुद्दे संबंधित कांग्रेस नेताओं के दावों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि दो मोर्चों पर लड़ाई का एक इतिहास है और यह बहुत पहले ही शुरु हो गई थी। इससे मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ नहीं करने वाले पूछ रहे हैं कि आपने ज्यादा क्यों नहीं किया।
विदेश मंत्री ने लोकसभा में पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के सशक्त, सफल और निर्णायक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा में भाग लिया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सरकारों के दौरान विदेश मोर्चे से जुड़ी कमजोरियां गिनाई।
विदेश मंत्री ने कांग्रेस को चीन के विषय पर घेरा। उन्होंने आर्थिक पहलू का जिक्र करते हुए कहा कि 2006 में कांग्रेस सरकार चीन के साथ क्षेत्रीय व्यापार समझौता करने जा रही थी। 3जी और 4जी तकनीक चीन से ली गई जबकि हमारी सरकार के दौरान 5जी में स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया। डोकलाम के दौरान विपक्ष के नेता चीन के राजदूत से ब्रीफिंग ले रहे थे।
पाकिस्तान और चीन के सीमा मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान विकास नहीं करने की नीति थी। हमने सीमा के विकास पर ध्यान दिया और वहां निर्माण कार्यों के लिए बजट को चार गुना कर दिया।
विदेश मंत्री ने मालदीव और श्रीलंका का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मालदीव ने कांग्रेस सरकार के दौरान एयरपोर्ट निर्माण से भारतीय कंपनी को बाहर कर दिया था जबकि आज वह देश हमें एयरपोर्ट बनाने के लिए आंमंत्रित कर रहा है। श्रीलंका में हंबनटोटा पोर्ट (चीन ने इसे लीज पर लिया) का निर्माण 2005-08 के बीच हुआ और उस समय की कांग्रेस सरकार ने इसे सही ठहराने की कोशिश की।
विदेश मंत्री ने कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान भारत में हुए आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान के साथ वार्ता और उसके नतीजों पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान ही कोई कार्रवाई नहीं को ही सर्वश्रेष्ट कार्रवाई माना जाता था। हम कुटनीति से लक्ष्य हासिल करने की बात करते थे और वे भी हासिल नहीं कर पाते थे। वार्ताओं के बाद पाकिस्तान को भी आतंक का शिकार माना गया और यहां तक की ब्लूचिस्तान तक का मुद्दा शामिल कर दिया गया।